बाबा विश्वनाथ की ‘गौना बारात’ | Rangbhari Ekadashi Varanasi

धर्म व अध्यात्म की नगरी कहीं जाने वाली काशी में आज रंगभरी एकादशी से होली का खुमार चढ़ गया है।रंगभरी एकादशी के पर निकलने वाली माता गौरा के गौने की रस्म की तैयारी पूरी कर ली गई है।

बाबा काशी विश्वनाथ आज अपने ससुराल से माता गौरा को लेकर महंत आवास से काशी विश्वनाथ मंदिर जाएंगे। इसे लेकर मंदिर प्रशासन व जिला प्रशासन द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है।

काशी की लोक परंपरा के अनुसार रंगभरी एकादशी पर बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के गौना के मुख्य अनुष्ठान शुरू हुए। भोर लगभग चार बजे 11 वैदिक ब्राह्मणों ने विधि विधान से बाबा का रुद्राभिषेक किया। सूरज की किरणें धरती पर आने के साथ शिव-शक्ति को पंचगव्य से स्नान कराने का साथ षोडषोपचार पूजन किया गया। सुबह सात बजे शुरू हुए लोकाचार और बाबा का श्रृंगार किया गया। इसके लिए महंत परिवार की महिलाएं गीत गाते श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार पहुंचीं और बाबा की आंखों में लगाने के लिए मंदिर के खप्पड़ से काजल लिया। गौरा के माथे पर सजाने के लिए सिंदूर परंपरानुसार अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया गया। शिव-पार्वती के विग्रह को महंत आवास के भूतल स्थित हाल में विराजमान कराया गया और भोग अर्पित किया गया। महंत डा. कुलपति तिवारी ने विधि विधान से वेद मंत्रों के बीच महाआरती की।

दोपहर बाद उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डा. राजेश्वर आचार्य शिवांजलि महोत्सव का उद्घाटन करेंगे और गौरा की अंगनाई मंगल गीतों से गूंज उठेगी। इसमें डा. अमलेश शुक्ल समेत पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आए कलाकार हाजिरी लगाएंगे। यह सिलसिला शिव आधारित गीतों के साथ शाम साढ़े चार बजे तक चलेगा। इसके बाद बाबा की पालकी यात्रा निकलेगी जो मंदिर परिसर तक जाएगा। इसमें श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा और अबीर गुलाल से रेड कारपेट सी बिछ जाएगी