महत्वपूर्ण है निर्जला एकादशी | Nirjala Ekadashi
आज निर्जला एकादशी महापर्व है वाराणसी में निर्जला एकादशी का अपना एक अलग महत्त्व है दरअसल आज के दिन बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परंपरा है। Importance of Nirjala Ekadashi |

आज निर्जला एकादशी महापर्व है वाराणसी में निर्जला एकादशी का अपना एक अलग महत्त्व है दरअसल आज के दिन बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परंपरा है। और करीब दो दशक से अधिक समय से काशी के लोग यह परंपरा निभा रहे हैं। लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के वजह से भक्त बाबा के दर्शन से भी दूर है इस बार श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास बाबा के जलाभिषेक के लिए कलश ले जाने लिए सिर्फ 11 श्रद्धालुओं के साथ चार डमरू वादकों को मंदिर में जाने की मंजूरी दी है। मंदिर के अंदर ये सब सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बाबा का जलाभिषेक करने के बाद वापस आ जाएंगे। निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष के दौरान किया जाता है | अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत मई अथवा जून के महीने में होता है, और इस बार निर्जला एकादशी दो जून यानी आज है।एक कथा के अनुसार भीमसेन ने भी ये उपवास किया था इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। एक बार बहुभोजी भीमसेन ने व्यास जी के मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विनम्र भाव से कहा कि महाराज मुझसे कोई व्रत नहीं किया जाता है। दिन भर बड़ी तीव्र क्षुधा बनी रहती है अत: ऐसा उपाय बताइए जिसके प्रभाव से स्वत: सद्गति हो जाए। तब व्यास जी ने केवल एक निर्जला व्रत की सलाह दी।
आज के दिन घड़ा या सुराही के दान करने की परंपरा है एकादशी व्रत हिन्दुओ में सबसे अधिक प्रचलित व्रत माना जाता है | वर्ष में चौबीस एकादशियां आती हैं, किन्तु इन सब एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली समझी जाती है क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है | नाम के अनुसार व्रत को निर्जला करने से आयु और आरोग्य में वृद्धि होती है। कहते है कीअगर एक वर्ष की 25 एकादशी व्रत न कर के केवल निर्जला एकादशी व्रत कर जाए तो व्यक्ति को पूरा फल प्राप्त हो जाता है।