लॉकडाउन से भी नहीं हारेगा कोरोना, कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों का पलायन जारी - Bharat Samachar
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में लागू लॉकडाउन घोषित है | शहर के शहर गावं के गावं घरो में बंद है |लेकिन ऐसे में भी प्रवासी कामगारों, और दिहाड़ी मजदूरों का पलायन जारी है। कोई पैदल २०० किलोमीटर जा रहा है तो कोई 2000 किलोमीटर का लक्ष्य पैदल ही तय करने के लिए निकला है | दिन-रात लोग अपने घरों की ओर कूच कर रहे हैं|

लॉकडाउन से भी नहीं हारेगा कोरोना, कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों का पलायन जारी
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में लागू लॉकडाउन घोषित है | शहर के शहर गावं के गावं घरो में बंद है |लेकिन ऐसे में भी प्रवासी कामगारों, और दिहाड़ी मजदूरों का पलायन जारी है। कोई पैदल २०० किलोमीटर जा रहा है तो कोई 2000 किलोमीटर का लक्ष्य पैदल ही तय करने के लिए निकला है | दिन-रात लोग अपने घरों की ओर कूच कर रहे हैं| इसमें महिलाएं है, बच्चे हैं,पूरा परिवार है,किसी के कंधे पर बैग का बोझ है तो कोई अपने बच्चों को कंधे पर बिठाए हुए है| लेकिन किसी तरह जुगाड़ से ये लोग अपने घरों की ओर लौट हैं। गृह मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी कर बड़े पैमाने पर प्रवासियों, खेतिहर और औद्योगिक मजदूरों तथा असंगठित क्षेत्र के कामगारों का पलायन रोकने को कहा है। सरकार की ओर से राज्यों सरकारों को सलाह दी गई है कि वे इन समूहों को मुफ्त अनाज और अन्य जरूरी चीजों को सरकार द्वारा मुहैया करने के बारे में जानकारी दें | जिससे बड़े पैमाने पर हो रहे इस पलायन को रोका जा सके | साथ ही गृह मंत्रालय ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि लॉकडाउन के दौरान होटल, हॉस्टल, किराये के आवास चलते रहें और उन्हें जरूरी सामान की आपूर्ति कराई जाए।दरअसल, ये कामगार प्रवासी ऐसे हैं, जो लॉकाडाउन के बाद कामकाज-नौकरी छोड़ चुके हैं या फिर निकाल दिए गए हैं और किराए पर कमरा लेने और खाने-पीनी की चीजों का जुगाड़ करने में भी असमर्थ हैं। ऐसे हजारों लोग हैं जो महानगरों से काम और रोजी-रोटी के अभाव में अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। राज्य सरकारों द्वारा अपील कर रही है की आप जहाँ है वही रहे, सरकार आपकी मदद के लिए हर जगह आएगी लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है | घर जाने की जल्दी ऐसी की एक ट्रक में 300 लोग सवार होने में भी कतरा नहीं रहे बल्कि ज्यादा पैसे दे कर भी घर जाना चाहते हैं | शोसल डिस्टेंसिंग का तो पता नहीं यहाँ तो लोगो का हुजूम उमड़ा हुआ है| यहाँ सरकार की सभी कोशिशों विफल है, और अभी पलायन भी जारी है|
ऐसे में सवाल ये उठता है की इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा ?अगर इन में से किसी एक को भी कोरोना हुआ तो बाकियों का क्या होगा?
क्या इनको अपने घर की , अपने परिवारों की, अपने गांव की फ़िक्र नहीं ? क्या देश के प्रति इनकी कुछ जिम्मेदारी नहीं बनती ?
अरे जब सरकार मुफ्त की रोटी देने को तैयार है तो आपको क्या में क्या परेशानी है | क्या देश के लिए आप कुछ दिन सरकारी शेल्टरों में नहीं रह सकते ? घर है परिवार है खाना है सभी सुविधाएं है फिर जल्दी कैसी ?
जितने दिनों में आप पैदल सफर करेंगे,भूखे प्यासे, धूप और गर्मी में सड़कों पर अपने पैर घिसेंगे और इसकी भी कोई गारंटी नहीं की आपको कोरोना नहीं होगा | ऐसे में आपकी क्या जिम्मेदारी बनती है देश के प्रति ?
आपके पलायन के और एक कदम से कोरोना गावों को तबाह कर सकता है | जरा सोचिये ?
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