लॉकडाउन के असर - स्वच्छ हुई गंगा नदी, गंगाजल का जहर भी हुआ कम | VARANASI NEWS UPDATE
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी का कहना है कि 23 मार्च से ही गंगा के पानी की सैंपलिंग बंद है। इसलिए आंकड़े तो नहीं हैं लेकिन गंगा के पानी में प्रदूषक तत्वों का जाना कम हुआ है (पूरी खबर पढ़ें )

लॉकडाउन के कारण स्वच्छ हुई गंगा नदी, गंगाजल का जहर भी हुआ कम
**Pollution Level of Ganga River **
लॉकडाउन के कारण केवल हवा का जहर ही नहीं बल्कि गंगाजल का भी जहर कम हुआ है। देश में लॉकडाउन के पहले हफ्ते से ही शहरों के हवा पानी पर प्रदुषण काम होने का असर दिखाना शुरू हो गया था| देश के 91 शहरों की हवा की गुणवत्ता 29 मार्च से ही अच्छी और संतोशजनक श्रेणी में आ चुकी हैं| लॉकडाउन का असर गंगा पर भी पड़ा है| यही वजह है कि गंगा नदी का पानी भी अब साफ़ और निर्मल होने लगा है | लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियां बंद हैं, इसके कारण गंगा में आने वाले लेड, कैडमियम और क्रोमियम की मात्रा शून्य हो गई है। लोगो के स्नान और पूजा पाठ काम होने से गंगा के पानी का अतिदोहन भी इस समय बंद है। हालांकि अभी गंगा के पानी की सैंपलिंग नहीं हो रही है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगाजल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण हैं। गंगा के पानी में पाया जाने वाला वायरस बैक्टीरिया को मारता है| प्रदुषण काम होने से गंगा की वायरस को मारने की क्षमता और पानी में घुलनशील आक्सीजन की मात्रा बढ़ी है जिससे विलुप्तप्राय होने वाले जीव भी अब तेजी से गंगा में बढ़ रहे हैं। इस कारण गंगा का प्रवाह बढ़ा है और घुलनशील क्षमता बढ़ी है। संभावना है कि गंगाजल में काफी सुधार आया होगा। इस पर शोध की जरूरत है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी का कहना है कि 23 मार्च से ही गंगा के पानी की सैंपलिंग बंद है। इसलिए आंकड़े तो नहीं हैं लेकिन गंगा के पानी में प्रदूषक तत्वों का जाना कम हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण पावन गंगा नदी का जल भी फिर से निर्मल होने लगा है। इन दिनों उसका प्रदूषण कम हो रहा है। लॉकडाउन की वजह से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है। गंगा का पानी ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
लॉकडाउन से गंगा काफी स्वस्थ्य होती जा रही है। रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया। मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है।